जिन्दगी
जिन्दगी


रुखी सी जिन्दगी ने
सूखी आंखों में पानी डाला है
जिम्मेदारियों के बोझ तले
कुछ सपनों ने दम तोड़ा है,
खुशियों के पीछे भागते भागते
थोड़े चोट भी खाये हैं
कुछ अपने भी पराये बन
आंखों के सम्मुख आये हैं,
कैसे कहे! ज़िंदगी मेरे,
तुमसे हैं कितना प्यार
जो भी मिला तुम ही से मिला
चाहे गम हो या हो खुशियों का त्योहार,
जो भी दिया तुमने मुझे
खुशी खुशी अपनाया है
मेरी प्यारी जिन्दगी मैंने तुम्हें
बड़े प्यार से गले लगाया है।