मौत की याद आ रही है !!!
मौत की याद आ रही है !!!
आपके अजीब व्यक्तित्व की
जहरीली छाया के सामने
मौत भी मासूम लगती है
आपके आगमन की ख़बर सुनकर
मौत को भी डर लगने लगा है
मृत्यु भी अप्रस्तुत है
आपको गले लगाने के लिए
क्या आप वास्तव में मृत्यु के योग्य हैं?
बहुत सी जिंदगीयों को
अपने पैरों के नीचे रौंद कर
आप सिर्फ आगे बढ़ते चले गए
कई संभावनाओं को स्रोत को
आपने बर्बाद कर दिया है
बस अपनी झूठी शान के लिए
आपके लिए
कितनी मासूम आँखें
पूरी रात जागते रहे
आँसू बह निकले
रात रात भर
आपके पाप कर्मों के सामने
आज मौत गायब है,
वह लापता है
केवल आपके डर से