यादगार पल
यादगार पल


आज भी याद आते हैं मुझे
वह हसीन यादगार पल
जब खिलौनों की आस में
पापा के पीछे चल पड़ते थे पैदल,
जब मन होता था
असमंजस में
ओढ़ के सो जाते थे
माँ का आंचल ,
बारिश के बूंदों के साथ
जब झूमा करते थे
पहने पैरों में पायल ,
जब आंखों में
नन्हें मुन्ने सपने लिये
छत पर बैठे
निहारते थे बादल
स्वाभिमान और संस्करों का
आदर्श लिये
पापा रहते थे
अटल, निश्चल,
आज भी याद आते हैं मुझे
वह हसीन यादगार पल
बचपन की मासूमियत
दिल में लिये
जब मेरा परिवार था मुक्कमल...