जिंदगी
जिंदगी
आखिर जिंदगी में किसका ख्याल है,
तन्हाई का आलम किसका मलाल है,
जिंदगी की राह में दिन ढलता नहीं,
जिंदगी को समझे वह शागिर्द तलाश है।
पहले जैसे नहीं अब गम-ए-हालात हैं,
उत्तर एक नहीं जिंदगी के बड़े सवाल हैं।
स्याह होते जज्बात कौन समझता है,
हर कोई जमाने में विश्वास तोड़ता है।
अब और न उकेरो दर्द-ए-दिल की दास्तां,
खंडहर बन चुकी मंजिल न कोई रास्ता।