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निखिल कुमार अंजान

Classics

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निखिल कुमार अंजान

Classics

जिंदगी से लफड़े चल रहे हैं

जिंदगी से लफड़े चल रहे हैं

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आजकल बड़े लफड़े चल रहे हैं

जिंदगी के जिदंगी से जाने क्यों

बिन बात के झगड़े चल रहे हैं।


उदासी मे भी ये लब मुस्कुराते हैं

कुछ किस्से कितने भी पुराने हो

चाहकर भी भूले नहीं जाते हैं।


माना की खफा है वो भी और तुम भी

मनाने से बेहतर तो हम तंहा ही सही है

तन्हाई मे वक्त भी होगा और तेरी याद भी।


चलो छोड़ो अब किस्सा यहीं खत्म करते हैं

आखिरी बार आँखों मे आँखें डाल देख मेरी

जिंदगी तुझसे जिंदगी की आखिरी जंग का 

हम ऐलान करते हैं।


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