STORYMIRROR

sargam Bhatt

Tragedy

3  

sargam Bhatt

Tragedy

जिंदगी के रंग

जिंदगी के रंग

1 min
205


मैंने देखा छोटी सी बच्ची थी,

तुतलाती जुबान से बोलती थी,

कुछ दिनों बाद वह बड़ी हो गई थी,

अब तो वह कॉलेज जाने लगी थी,

फिर मैंने देखा वह सजी संवरी रहती थी,

शायद उसकी शादी हो गई थी,

कुछ दिनों बाद ही वह सफेद वस्त्र में थी,

इतनी बड़ी अभागन थी,

इसी उम्र में वह विधवा बन गई थी।

यह जिंदगी भी क्या चीज है,

छोटी सी उम्र में हर रंग दिखा गई थी।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy