जिंदगी के रंग
जिंदगी के रंग
जिंदगी कई रूप तेरे कई रंग तेरे,
सारा जीवन हम इसी में घिरे-फिरे,
बचपन लड़कपन जवानी बुढ़ापा,
जीवन में एक आता दूजा जाता।
शहंशाह अपरिपक्व मदमस्त अकेलापन,
मर्जी के मालिक, गल्तियों के पुतले,
सबसे हैं समझदार, अब हो गए लाचार,
चलता जीवन, यही कुदरत का प्यार।
जीवन की यही सार्थकता,
सहारा बनो इक दूजे का,
जीवन चक्र है ये मेरे भाई,
रिश्ते निभाओ सभी दिल से।
दिल से जो निभाओगे रिश्ते,
जीवन में हर रंग चमक जाएगा,
जीवन बगिया हर रिश्ता महकेगा,
रिश्तों का रंग गुमान बन फैलेगा।
पर शरीर नश्वर है मेरे भाई,
आत्मा अमर यही सच्चाई,
बुलावा आए पता न चले भाई ,
प्रभु नाम जपो दिल दुआ आई।