जिंदा एक जहान
जिंदा एक जहान
आपकी जिह्वा से निकले हर एक शब्द में
जिंदा एक जहान है
अकेला और तन्हा सा
मेरे जीवन का हर छोर था
महफ़िलों से परे
तन्हाई का अंधेरा सा घनघोर था
जिसमें अपनेपन की नदी उमड़ती
आपके शब्द वो अरमान हैं
आपकी जिह्वा से निकले
हर एक शब्द में
जिंदा एक जहान है
मैंने प्रीत सुनी तो बहुत
हीर - रांझा, लैला -मजनूँ की
पर पाई नहीं
सूरज की रोशनी और
रात के जुगनू सी
जिसे सुनकर मैं आँगन सी भीग रही
आपके शब्दों को बादलों का वरदान है
आपकी जिह्वा से निकले
हर एक शब्द में
जिंदा एक जहान है
मेरी आँखों में सपने पलते हजार
जीवन रूपी इस धरती में
उम्मीदों की कतार
मेरी उम्मीदों, मेरे सपनों को उंगली
पकड़ जो थाम ले
आप वो कद्रदान हैं
आपके शब्दों में
जिंदा एक जहान है ।