जीवन
जीवन
जीवन का अपना अलग ही सत्य यथार्थ है।
जगत के सत्य को जानना भी
जीवन है।
ईश्वर के वास्तविक स्वरूप को
जानना भी जीवन है।
जीवन का अपना अलग ही सार है।
जीवन का एक अपना अलग ही
औचित्य है।
हर किसी के जीवन का अपना
अलग लक्ष्य हैं।
जीवन के चार परम पुरुषार्थ भी है।
धर्म अर्थ काम मोक्ष यह जीवन के
महत्वपूर्ण सार है।
सभी के जीवन का अपना अलग
ही सारांश है।
जीवन का अपना एक अलग है।
उद्देश्य है।
जीवन एक कर्म साधक है
जीवन एक कर्म प्रमाण भी है
जीवन एक चलता फिरता
खिलौना है।
जन्म और मृत्यु के बीच की
कला विधि भी जीवन है।
जीवन सभी क्रिया का साक्षी भी होता है।
जीवन ८४ योनी के बाद मिला हुआ
एक वर भी है।
