जीवन
जीवन
दूसरों को कहने के लिए तो
जिन्दा हूँ, पर
साँसे
गले में अटकने के जैसी
महसूस कर रहा हूँ...
लाश ढोकर
जा रहा हूँ
काली सड़क पर
मनुष्यों के
भीड़ के मध्य से
मैं क्या
सही में जिन्दा हूँ ?
जब मर गया है
मनुष्यों के दया - दर्द
साँसे अटक रही है
मनुष्यों के इज्जत की
सुन्न हो गया है
मनुष्यों के सभी रिश्ते
मनुष्यों का जीवन क्या
केवल खाना - पीना
और जिन्दा रहना ही है ?
मनुष्य जीवन
सुख और आनंद भोग
के लिए है
तुम जिन्दा मनुष्यों के बीच
रह रहे हो
किसी मरघट पर नहीं
इसलिए कह रहा हूँ
दया और प्यार पर
सिंचाई करो
भाईचारा की खेती करो
और तुम इज्जत की
धन से
धनी बने रहो...