मजबूरी अपनी हद दिखाती है और हाथ बंधे होते हैं मजबूरी अपनी हद दिखाती है और हाथ बंधे होते हैं
मैं जानती हूँ दर्पण झूठ नहीं बोलता तभी तो उसका अहसान मानती हूँ। मैं जानती हूँ दर्पण झूठ नहीं बोलता तभी तो उसका अहसान मानती हूँ।
तुम जिन्दा मनुष्यों के बीच रह रहे हो किसी मरघट पर नहीं इसलिए कह रहा हूँ दया और प्यार पर सिं... तुम जिन्दा मनुष्यों के बीच रह रहे हो किसी मरघट पर नहीं इसलिए कह रहा हूँ द...
कलम काँप उठती है जब देखती हूँ अनखिली कली को मुरझाते हुए। न मन करता है जीने का, न आराम से कुछ लिख पा... कलम काँप उठती है जब देखती हूँ अनखिली कली को मुरझाते हुए। न मन करता है जीने का, ...
क्यों किसी और के लिए खुद को दोष देती है क्यों किसी और के लिए खुद को दोष देती है