जीवन के रंग हज़ार
जीवन के रंग हज़ार
कहीं महक फूलों की,
कहीं काँटों का ताज़,
जीवन के रंग हज़ार,
डोर पे चढ़कर,
नाच रही पतंग,
ठुमके ले - लेकर आज,
टूटा धागा, पतंग कट गयी,
पड़ी धूल में जाये,
जीवन के रंग हज़ार,
एक फूल सेहरे में मुस्काये,
एक को ईश्वर चरण भाये,
एक शहीदों की अर्थी सजाये,
बोलो किसकी हो जय - जयकार,
जीवन के रंग हज़ार,
कहीं वैरागी, कहीं पर भोगी,
दोनों ही लाचार,
मकड़ जाल में उलझ कर रह गये,
जा ना पाये उस पार,
जीवन के रंग हज़ार,
पाप - पुण्य का लेखा - जोखा,
मानुष यहीं पर पाता है,
एक सिंहासन पर विराजे,
दूजा सूली चढ़ जाता है,
जीवन के रंग हज़ार,
दुल्हन बन डोली में आयी,
मन में हज़ारों उम्मीदें लायी,
मेरी अर्थी उनके काँधे पर जाये,
यही कामना जीवन भर पनपायी,
विधवा का वो तगमा पाये,
जीवन के रंग हज़ार,
धन के बिस्तर पर भी,
किसी को चैन न आये,
औऱ कोई काँटों पे सो जाये,
जीवन के रंग हज़ार,
दो जून के निवाले की खातिर,
कोई दर - दर ठोकर खाये,
और कोई महलों में आराम फरमाये,
जीवन के रंग हज़ार,
भगवान भी इन विपदाओं से,
बच नहीं पाये,
जब मानुष चोले में आये,
सिंहासन पाते - पाते,
"शकुन" बनवास पाये,
जीवन के रंग हज़ार।।
