श्री गोविन्द मुरारी,,।
श्री गोविन्द मुरारी,,।
प्रेम के वश यूं चले आते हैं,
श्री गोविन्द मुरारी..
आकर फिर मन बस जाते हैं,
मनमोहन, गिरधारी..
कोई भी उनकी प्रेम माया से,
बच ना पाएं प्यारी..
अद्भुत रूप के दर्शन होते,
मन रहते बनवारी..
सत्य वहीं हैं, शाश्वत मन का
समझें जो नर नारी..
जीवन सफल, बस रहता उसी का
जिस तन, मन में मुरारी..।

