जीवन का अंतिम पड़ाव
जीवन का अंतिम पड़ाव
जीवन के
अंतिम पड़ाव पर
बैठी स्त्री
स्मरण करती है।
बार बार
बचपन से
बुढ़ापे तक का सफर
संन्यास आश्रम की
इस पगडंडी पर
अनायास ही
सजीव हो
उठते हैं।
चित्र
आँखों के सामने
पिता, पति, पुत्र
के प्रतिबंध
मीठे, खट्टे, कड़वे पल
माँ, बहन, बेटी, बहू
संग बिताया
एक-एक पल।
बूढ़ी नज़र
बीनती कंकर
वृद्ध काया
करती मूल्यांकन
जीवन में
क्या खोया
क्या पाया।।
