जीवन बसन्त है
जीवन बसन्त है
मन के भावों में अक्सर खोना पसन्द है,
फिर से जियूं और ये कहूँ की जीवन बसन्त है।
फूलों की ख़ुशबू,
तितलियों का फिरना,
हाँ, पसन्द है मुझे यूँ पत्तों का हिलना।
बादल के ऊपर जहाज़ का उड़ना,
बादल के नीचे यूँ पतंग का मचलना,
हाँ, पसन्द है मुझे यूँ पंछी सा बनना।
कोयल के कोकने पर मन गाने लगता है,
मोर के थिरकने पर मन उछलने लगता है,
दूर से आती लौहपथ गामिनी को देखना अच्छा लगता है,
पास से बारिश की बूंदों का झूमना अच्छा लगता है।
भवरों का यूँ फूलों को चूमना पसन्द है,
फिर से जियूँ और ये कहूँ की जीवन बसन्त है।
मुस्कुराता चेहरा बिना किसी लकीरों का,
मस्त मलंग झूमना यूँ फकीरों सा,
हाँ, पसन्द है मुझे यूँ घूमना नंगे पाँव,
और चूमना यूँ धरती को जो देती अपनी शान पर ताँव।
चाँद के साथ सितारों की चमक है,
मिट्टी के साथ घुलती फूलों की महक है।
किलकारी बच्चों की और हंसते ताली बजाना पसन्द है,
झूमते झूलों के साथ झूमना पसन्द है,
फिर से जियूँ और ये कहूँ की जीवन बसन्त है।