तिरंगा लहराता रहेगा
तिरंगा लहराता रहेगा
सो रही थी बेफिक्र मैं अपने घर में,
जाग रहा था वो हमारी सुरक्षा के डर में।
कहना बहुत आसान होता है मेरे दोस्त,
गुजार कर तो देख एक रात देश के नाम।
जाग कर तो देख गोलियों की गूँज में,
कितना सुकून मिलता है उन्हें,
जब आते वो देश के काम।
हर बार घर से निकलते हैं,
वो एक आस लेकर,
घर वालों का प्यार और,
दिल रूबा को दिल के पास लेकर।
अरसे गुजर जाते हैं अपने अंश को देखे,
रातें बीत जाती है सिर्फ उसका नाम लेकर।
कहते हैं लोग उनकी मजबूरी है सीमा पर रहना,
भूल जाते हैं वो हैं तो हम सो पाते हैं,
वरना कहाँ हम दुश्मनों को भाते हैं।
धड़कन बढ़ सी जाती होगी हर बार उस माँ की,
जब जंग का ऐलान सुनती होगी वो।
बैठ जाती होगी ध्यान में भगवान के,
कि फिर से मिल पाऊँगी अपने लाल को।
देश भक्ति आसान नहीं निभाना,
बंद कमरों में बातें बनाना।
कम नही समझते वो,
तिरंगे में यूँ शांत सा लिपट कर आना।
माँ के आँसू, दिलरुबा का बिलखना,
उसके अंश का यूँ मासूम सा पूछना।
यही दोहराता है वो और दोहराता रहेगा,
जब तक वो है, तिरंगा शान से लहराता रहेगा।
