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ritesh deo

Comedy

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ritesh deo

Comedy

जीवन और व्यंग

जीवन और व्यंग

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अक्ल बांटने लगे विधाता,

लंबी लगी कतारें 

सभी आदमी खड़े हुए थे,

कहीं नहीं थी नारी ।


सभी नारियाँ कहाँ रह गईं,

था ये अचरज भारी 

पता चला ब्यूटी पार्लर में,

पहुँच गई थी सारी।


मेकअप की थी गहन प्रक्रिया,

एक एक पर भारी 

बैठी थीं कुछ इंतजार में,

कब आएगी बारी ।


उधर विधाता ने पुरूषों में,

अक्ल बाँट दी सारी ।

ब्यूटी पार्लर से फुर्सत पाकर,

जब पहुँची सब नारी ।


बोर्ड लगा था स्टॉक ख़त्म है,

नहीं अक्ल अब बाकी ।

रोने लगी सभी महिलाएं ,

नींद खुली ब्रह्मा की ।


पूछा कैसा शोर हो रहा है,

ब्रह्मलोक के द्वारे ?

पता चला कि स्टॉक अक्ल का

पुरुष ले गए सारे ।


ब्रह्मा जी ने कहा देवियों ,

बहुत देर कर दी है ।

जितनी भी थी अक्ल वो मैंने,

पुरुषों में भर दी है ।


लगी चीखने महिलायें,

ये कैसा न्याय तुम्हारा?

कुछ भी करो हमें तो चाहिए,

आधा भाग हमारा ।


पुरुषो में शारीरिक बल है,

हम ठहरी अबलाएं ।

अक्ल हमारे लिए जरूरी ,

निज रक्षा कर पाएं ।


सोचकर दाढ़ी सहलाकर ,

तब बोले ब्रह्मा जी ।

एक वरदान तुम्हें देता हूँ ,

अब हो जाओ राजी ।


थोड़ी सी भी हँसी तुम्हारी ,

रहे पुरुष पर भारी ।

कितना भी वह अक्लमंद हो,

अक्ल जायेगी मारी ।


एक औरत ने तर्क दिया,

मुश्किल बहुत होती है।

हंसने से ज्यादा महिलायें,

जीवन भर रोती है ।


ब्रह्मा बोले यही कार्य तब,

रोना भी कर देगा ।

औरत का रोना भी नर की,

अक्ल हर लेगा ।


एक अधेड़ बोली बाबा,

हंसना रोना नहीं आता ।

झगड़े में है सिद्धहस्त हम,

खूब झगड़ना भाता ।


ब्रह्मा बोले चलो मान ली,

यह भी बात तुम्हारी ।

झगड़े के आगे भी नर की,

अक्ल जायेगी मारी ।


ब्रह्मा बोले सुनो ध्यान से,

अंतिम वचन हमारा ।

तीन शस्त्र अब तुम्हें दिए,

पूरा न्याय हमारा ।


इन अचूक शस्त्रों में भी,

जो मानव नहीं फंसेगा

निश्चित समझो,

उसका घर नहीं बसेगा ।


कहे कवि मित्र ध्यान से,

सुन लो बात हमारी ।

बिना अक्ल के भी होती है,

नर पर नारी भारी।


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