" जीत का जश्न "
" जीत का जश्न "
जीत का जश्न
मना लो ,
ढोल नगाड़ा
बजालो ,
जम के होली
मनाओ ,
अपने रंगों में
रंग जाओ !!
पर भूलो नहीं
अपने वादों को ,
सपने जो दिखाया
लोगों को ,
अभी तो
काम बाकी हैं ,
अभी इंतहान
बाकी हैं !
मिटानी भूख
तुमको है ,
देना रोजगार
तुमको है ,
लगाओ भ्रष्टों
पर अंकुश ,
विजय महंगाई
पे पाना है !
फिर एक बार
लोगों में ,
विश्वास के फूल
खिल गए ,
एकबार फिर से,
आपकी बातों पर
हम मिट गए !
जमीनी हकीक़त को ,
भली भांति जान लें ,
लोगों की मूलभूत
आवश्कता ,को
क्षण में पहचान लें !
ऐतिहासिक पुरुष
तभी हम बनते हैं ,
जब काम हम
लोगों के लिए करते हैं !
वसुधेव कुटूम्कम
का मंत्र चहुदिश
जब इस धरा में
साकार करेंगे !
तबही हम
इस जहां में
नया इतिहास रचेंगे !!
