जीने का यतन
जीने का यतन
ज़िंदगी एक ही है जीने के लिये यारा
सालों महीनों या फिर दिनों में मत देख
लम्हा दर लम्हा जीने का यतन जगा
कीमती हर एक पल पे पैनी नज़र रख।।
काल सीमित है मगर कर्म अपरिमित
कर गुजरने की जुनून कायम रख
नामुमकिन भी मुमकिन हो जाएगी
परिणामों पे नहीं नज़र निशाने पे रख।।
उलझी हुई ये धागे एक छोर हाथ तेरे
सुलझाना भी आसां होता नहीं प्यारे
नाजुक बहुत है टूट भी सकते हैं नाते
नाज़ाक़त से हाथ हिफाज़त का रख।।
हालात हक़ में है या नहीं मत सोच
सामना करने का तुझमें है सत्साहस
माचिस में कैद चिनगारी की तरह
खुद ही में खुद की काबिलियत देख।।
डरती है जब जहाँ देख घोर अंधेरी रात
जुगनू खोजती कहाँ कब किसीका साथ
साथी मत खोज राहों में मिल जायेंगे
कदम बढ़ाते चलो हौसलें कायम रख।।