जीने का सहारा
जीने का सहारा
हे गुरुवर ! जीने का सहारा तेरा नाम रे।
और किसी से भी कुछ न कोई आस रे।।
माया ठगनी, मोह पिशाचिनी, झूठा है शकल संसार।
नीका लागे मुझको सिर्फ तेरा प्यार रे।।
हो गया मैं तो प्रेम दीवाना, जब से जुड़ा तुम से है नाता।
फीके लगते सब रस मुझको, प्रेम रस मुझको है भाता।।
जब तलक दर्शन न होते, व्याकुल बन नैन तरसते।
छोड़ दिया अब सब कुछ तुम पर, जीवन कुर्बान तुम पर करते।।
जीने का सहारा तेरा नाम रे..........
एक झलक तुम्हारी पाने को, छोड़ दिए सब रिश्ते नाते।
पार लगा दो डूबती नैया, तुम्हारी महिमा नित हम गाते।।
शरणागत की लाज बचा लो, चरणामृत का पान करा दो।
"नीरज" दीन-दुखी तुम बिन, कृपा कर मुझको दरस करा दो।।
जीवन का सहारा तेरा नाम रे.......