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Arya Vijay Saxena

Fantasy

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Arya Vijay Saxena

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जीने दे ए जिंदगी-1

जीने दे ए जिंदगी-1

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इश्क ही सब कुछ नहीं..

इस  खुदगर्ज  ज़माने में...!!

जिंदगी  निकल  गई..

दाल  रोटी  कमाने  में...!!


बरसो  बीत    गए.. 

वो  ज़ख्म  सुखाने  में...!!

तुम शिद्दत से लगे रहे.. 

मरहम  को  मिटाने  में....!!


क्या कुछ नहीं किया.. 

जिंदगी, तूने आजमाने में...!!

हम हद से गुजर गए..

इक तुझे अपना बनाने में...!!


पल पल कोशिश की.. 

तूने, राह  से डिगाने में...!!

हम हद से गुजर गए.. 

इक तुझसे साथ निभाने में..!!


निष्ठुर नियति मग्न है.. 

लम्हा लम्हा, सताने  में...!!

हम हद से गुजर गए.. 

ए किस्मत, तुझे मनाने में...!!


इतना मैं कमजोर नहीं.. 

पहुँच जाऊँ जो मयखाने में.!!

भले सदियाँ लग जाए.. 

वाबस्ता  ग़म  भुलाने में..!!


ठहर, ओ रूठी जिंदगी.. 

अभी वक्त है सांसे गंवाने में.!!

फ़ुरसते  मशगूल  है.. 

अभी मंजिल को पाने में..!! 



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