जी रहे तुम बिन कैसे?
जी रहे तुम बिन कैसे?
तुम बिन कैसे जी रहे हैं हम बेखबर,
ये तो सिर्फ मेरा एक दिल ही जानता है।
मेरा नन्हा मन तन्हा तन्हा भटकता है,
तिनका बन आँखों में ही खटकता है।
जब इश्क की हुस्न से हुई थी यारी,
तो ये पगला बनकर कैसे तो मचलता है।
उनके रुखसती की खबर सुनकर,
बड़ी मुश्किल से कोई दिन गुजरता है।
औरों के रुख सुख की देखा देखी ,
मेरा मिज़ाज़ भी पल पल में बदलता है।
ज़रा संभल संभलकर कदम रखो,
लम्हा हाथों में आ आकर फिसलता है।
चला गया है रूठकर महबूब मेरा,
उसके इंतजार में मेरे आस का दिया जलता है।