जी हाँ लोकतंत्र खतरे में हैं ...
जी हाँ लोकतंत्र खतरे में हैं ...
जी हाँ लोकतंत्र खतरे में हैं ठीक ही सुना है आपने
उसके लिए हम सब जिम्मेदार, उसको बचाने को हमने क्या किया ?
पूरी दुनिया भर में लोकतंत्र आखरी साँस गिन रहा हैं फिर भी हम चुप हैं खामोश हैं
डरे हुए हैं या स्वार्थ मतलब से सोने का ढोंग कर रहे उनके हाँ में हाँ मिला रहे हैं
किसान आंदोलन कर रहे हैं सरकार अपनी जिद पे अड़ी हुई हैं और हम ?
हम बस तमाशा देख रहे या उनके फैलाये हुए जाल में फंसे हुए हैं
महंगाई बढ़े, बेरोजगारी बढ़े, किसान मरे हमें कुछ फर्क नहीं पड़ता
हम तो खुश हैं आभासी दुनिया में उनके दिखाए मुंगेरीलाली सपनों में
हम तो बटे हैं जात, धर्म , प्रदेश और राजनीति के जंजाल में
उनके झंडे और डंडे बनने को मजबूर हैं, या हताश विफल प्रयास से
उनके पास तो ताकत है मगर हमारे पास सच्चाई नेकी और हिम्मत
हमें लड़ना हैं ऐसी बुराई से पूंजीपतियों के अन्याय से, अत्याचार से
हमें खड़ा होना हैं किसान भाइयों के साथ चाहे कुछ भी हो अंजाम
सच्चाई से बेख़ौफ़ होकर अपने हक़ की लड़ाई लड़नेवाले किसानों के साथ
हमें आईना दिखाना हैं उन हुक्मरानों को हम सब सिर्फ भारतीय हैं
हिन्दू - मुस्लिम सिख ईसाई भाई - भाई मिलकर लड़ेंगे आखरी साँस तक