ज़िद जिंदगी जीने की !
ज़िद जिंदगी जीने की !
एक ज़िद मेरी भी वह ज़िद है जिंदगी जीने की !
संबल उसी एक साथी का है !
सहारा बची वह ही आखिरी मेरी !
अब वही मेरी किनारा है !
कसम खाई है हमने कुछ कर गुजरने की !
चाहत है खुद को सुधारने-सुधरने की !
जज्बा है जिगर में संवरने की !
दुनिया में कोई है न अपना !
सिवा उसके कौन है अपना ?
तो फिर देखूं में किसका किसके लिए सपना !
मेरी उम्मीद का तारा वो !
मेरी अपरिमित आकाक्षाओं का एक अकेली सितारा वो !
सुकून पा लेता हूँ पलभर को उससे मिलके !
जी चाहता उसे खुद में खुद से इस तरह जकड़े रहूँ
जैसे जड़ का जुड़ाव होता है जमीन से।
ज़िद है जिंदगी जीने की बस उसी के साथ !
साथ निभाते हुए हम अंतिम साँस तक
पकड़े रहें एक - दूजे का साथ।
इबादत ईश्वर से बस इतना है कि
मेरी महबूब का मुस्कान महफूज रहे हमेशा।
बस यही जिंदगी की आखिरी जीने की ज़िद है !
ये ज़िद ही तो है जीने की !
