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Brijlala Rohanअन्वेषी

Action Classics Inspirational

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Brijlala Rohanअन्वेषी

Action Classics Inspirational

ज़िद जिंदगी जीने की !

ज़िद जिंदगी जीने की !

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 एक ज़िद मेरी भी वह ज़िद है जिंदगी जीने की !         

संबल उसी एक साथी का है !

सहारा बची वह ही आखिरी मेरी !

अब वही मेरी किनारा है ! 


कसम खाई है हमने कुछ कर गुजरने की !

चाहत है खुद को सुधारने-सुधरने की !

जज्बा है जिगर में संवरने की ! 

दुनिया में कोई है न अपना !

सिवा उसके कौन है अपना ?  

तो फिर देखूं में किसका किसके लिए सपना !          


मेरी उम्मीद का तारा वो !

मेरी अपरिमित आकाक्षाओं का एक अकेली सितारा वो !     

सुकून पा लेता हूँ पलभर को उससे मिलके !


जी चाहता उसे खुद में खुद से इस तरह जकड़े रहूँ

जैसे जड़ का जुड़ाव होता है जमीन से।

ज़िद है जिंदगी जीने की बस उसी के साथ !


साथ निभाते हुए हम अंतिम साँस तक

पकड़े रहें एक - दूजे का साथ।   

इबादत ईश्वर से बस इतना है कि

मेरी महबूब का मुस्कान महफूज रहे हमेशा।


बस यही जिंदगी की आखिरी जीने की ज़िद है !

ये ज़िद ही तो है जीने की !


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