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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy Inspirational

"झूठे सब रिश्तेनाते"

"झूठे सब रिश्तेनाते"

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सब ही रिश्ते और नाते

जगत में झूठ ही बताते

बस बालाजी तेरा रिश्ता

हकीकत मे है, फरिश्ता

तेरी भक्ति, पतझड़ में भी

करे, सावन की बरसाते

थामे रहना तू हाथ सदा,

मेरे तू ही आगे, तू ही पाछे

तेरे बिना कटती, न राते

बालाजी तू ही माता है,

बालाजी तू ही पिता है,

बाकी झूठे यहां हर वादे

तू ही मिटाता, तम सारे

बालाजी तू ही सागर है,

तेरे बिन अधूरे, हर किनारे

दर्शन को प्यासे, नैन हमारे

जैसे कोई तड़पनी मीन,

बिना पानी के जीवन हारे

वैसे तेरी भक्ति मे रोते है

तू जीवन, तू सांसो के तारे

जो तुझे याद न करूं, बाला

उसी पल निकले प्राण हमारे

यह तेरी भक्ति, देती शक्ति

बाकी झूठे है, सब रिश्ते नाते

जब भी दुनियावाले सताते

हम आ जाते, दर पे तुम्हारे

पवनपुत्र एकमात्र सहारे

बाकी स्वार्थी जग के सारे

बालाजी चरणों मे रखना

सांझ-सवेरे तुझे ही पुकारे

यही बस आखरी तमन्ना है

जब भी निकले प्राण हमारे

लबों पर हो तेरा नाम हमारे

हृदय में बालाजी यूँ बसे हो

जूं लोभी रहे लक्ष्मी के मारे

मेरे बालाजी, बस तू ही तू है,

बाकी न कोई, जग में रूह है,

तेरे सिवा न कोई खुदा हमारे

तू सृष्टा, तू ही पालनकर्ता

तू ही एकमात्र जग उजियारे

दुष्टों को भी तू सजा देता है,

तू ही हो ब्रह्मांड के सहारे

आपकी शरण आया, साखी

देना मुझे भक्ति के सितारे

हो जाये, उद्धार मेरा भी, प्रभु

करो कृपा, बाला, तुम हो हमारे

जो जमा है, पाप बहुत सारे

वो धुलेंगे क्या, हंसने लगेंगे

गर हाथ हो सर पर हमारे

घने तम भी देंगे, उजियारे

बना दो अपना सेवक प्यारे

फिर तो पत्थरों पर खिलेंगे

जगत के फूल बहुत सारे

मुक्ति भी मुझे नहीं चाहिए

बुलाओ बालाजी, पास तुम्हारे

सब झूठे है, जगत के रिश्ते नाते।



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