जहां तुम हो वहां सब कुछ हो
जहां तुम हो वहां सब कुछ हो
सोंख लो मेरे खून से प्राणवायु
बन्द कर दो सारी धमनियां
ढक लो रोम छिद्रों को
बढ़ ही जाने दो दर्द से दहकता पारा
सौ डिग्री के भी पार
गिरने दो त्वचा पर सिकुड़न का अम्ल
बहका दो आंखों की पुतलियों को
छीन लो मेरे सुकून के मुनासिब रास्ते
खत्म होने दो मुझमें मुझी को
पर जहां तुम होते हो
वहां तो सब कुछ हो
वहां तो खुशी हो.

