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Bharat Jain

Abstract

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Bharat Jain

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जड़ों तक चलो।

जड़ों तक चलो।

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फूलों से उतरकर तनों से उतरकर,

जड़ों तक चलो।


जहां बीज कोई फूटा हुआ है,

अंधेरे में उजाला सोया हुआ है,


यहां गीत है मौन,

यहां शेष है मौन,

यहां अजन्मा भी जनमा हुआ है।


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