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Radha Goel

Romance

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Radha Goel

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जब रह नहीं पाते थे हम इक दूजे के बिन

जब रह नहीं पाते थे हम इक दूजे के बिन

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ओ मेरे हमदम, मुझे ऐसी जगह ले चल।

जहाँ और कोई न हो, हों केवल मैं और तुम।

कहीं बैठ अकेले में, वो बातें याद करें।

यौवन की यादों से, जीवन में मधु भरें

याद करें अपने, वो शुरु- शुरु के दिन।

*जब रह नहीं पाते थे, हम इक दूजे के बिन।*


शुरुआती वर्षों की, उस मधुर यामिनी में। 

अनगिन बातें करते थे, हम स्निग्ध चाँदनी में।

रातें चाँदी सी थीं, दिन थे सोने जैसे।

मस्ती में फिरते थे, हम तुम पंछी जैसे । 

बच्चे जीवन में आए, बदलाव तनिक आया,  

हम उनमें व्यस्त हुए, पर बेहद सुख पाया। 

बच्चों के पालन-पोषण में बीत गया जीवन। 

बच्चों पर वार दिया, हमने तन- मन- और धन।


बच्चों का विवाह किया, अब सब विदेश में हैं।

इतने बड़े भवन में, हम तुम एकाकी हैं। 

जब साथ हैं हम तुम तो, क्यों खुद को अकेला मानें।

एक दूजे का संबल बन, सुख-दुख आपस में बाँटे।


चल बाग में चलकर बैठें, उपवन की शोभा देखें।

हम दोनों नहीं अकेले, यह सब विधिना के लेखे।

चल याद करें फिर से, वो शुरू शुरू के दिन। 

*जब रह नहीं पाते थे, हम इक दूजे के बिन।*



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