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Madhu Vashishta

Action Inspirational

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Madhu Vashishta

Action Inspirational

जब मर्यादाएं बोझ लगे।

जब मर्यादाएं बोझ लगे।

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जब मर्यादाएं बोझ लगें

जीवन केवल एक मौज लगे।

कर्तव्य पूरे करने रोग लगे।

रिश्ते निभाना खुद पर रोक लगे।

तो समझ लेना आधुनिकता की बयार

ने प्रवेश कर लिया तुम्हारे द्वार।

मर्यादाएं अब होंगी तार तार‌।

तुम खड़े हो चुके हो पतन के कगार।

अब तो तुम्हें अच्छे लगेंगे घर के बाहर के यार।

खुद में बदलाव के लिए हो जाओ तैयार।

घर से तो जल्दी ही हो जाओगे बाहर।

बचाकर कैसे रखोगे अब अपना सम्मान?

फिसलन पर बैठ चुके तुम अब तो बस गिरने को ही हो तैयार।



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