जब भी ठोकर लगी
जब भी ठोकर लगी
हम जिन्हे प्यार कर जिसके दीवाने हो गए।
वो हमदम और के आशिक सयाने हो गए।
हमें वो मिल न सके इसका गम नहीं हमको।
जिनपे मरते थे वो भी हरजाई बेगाने हो गए।
न प्यार उनको मिला और न ही हमको मिला।
हसरतें दफन किए हुए हमको जमाने हो गए ।
एक नफरत सी है अरसे से मोहब्बत से हमें।
नई मंजिल चुनी उनके नए ठिकाने हो गए।
जब भी ठोकर लगी गिर कर संभालना सीखा।
इस तरह संभले हम भी औरों से सयाने हो गए।

