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Sanket Potphode

Romance

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Sanket Potphode

Romance

इत्र

इत्र

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इत्र सा महकता है तेरा नाम

मैं जब-जब सांसें भर लेता हूँ,

यादों से भर जाते हैं जाम

मैं जब-जब शामें रंगीन करता हूँ।


ये शामें तो गुजर जाती हैं

पर इन लंबी रातों का क्या करूँ,

नींदे भी मुझसे रुठ सी गयी हैं

जब से तुम्हारे सपनों से जागा हूँ।


वो पल भी कितने हसीन थे

जब हम यादें सजाया करते थे,

अब वो भी इतनी नायाब नहीं रही

जब से वो रोज रूह से गुजरने लगी है।


अब सोचता हूँ कि

काश ये दिल सिर्फ अपना रह जाता,

काश वो पल सिर्फ सपना रह जाता,

तो ये इत्र की महक सदा आनंद देती

और ये जाम भी अपने आप भर जाते...


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