ऐ जिंदगी
ऐ जिंदगी
ऐ जिंदगी
कुछ तो बताते जा
ठोकर लगाने से पहले
कभी तो जताते जा
सीख देने से पहले
कभी सिखाया भी कर
उलझन देने के बाद
कभी सुलझाया भी कर
घाव देने के साथ साथ
मरहम भी लगाया कर
समय की पट्टी चढ़ाकर
उन्हें सिर्फ छुपाया ना कर
जिऊँगा तो वैसे भी
चाहे हारू या जीतू
साथ ही चला कर
कब तक सामने खड़ी रहेगी तू ?