बहार
बहार
जबसे तुमसे मिला हूँ
एक बहार सी आ गयी है
अंधेरे से भरे मेरे दिल में
एक रौनक सी छा गयीं है
पहचान तो हमारी पुरानी थी
पर एक अजनबी से रहते थे
अब जो तुम्हें जानने लगा हूँ
तो समझा कम ही तो फासले थे
अब जो पास आयी हो
यूँही हमेशा साथ रेहना
सूखे पड़े इस मंजर पे
बनकर तुम बरसात बेहना
यह मेरा मिलना तुमसे
शायद रब की ही ख़्वाहिश थी
भरोसा नहीं था तक़दीर पे
शायद इसलिये ही ये नुमाईश थी
बेजान पड़े इस जिंदगी में
अब एक खुमार सी आ गयी है
क्योंकि जबसे तुमसे मिला हूँ
एक बहार सी आ गयी है।