हर वक़्त हर लम्हा
हर वक़्त हर लम्हा
हर वक़्त हर लम्हा बस
एक ही ख्याल आता है
यह क्या है हमारे बीच
बस यही सवाल आता है
बातें कभीकभार होती है
पहले रुकती नहीं थी जो
मुलाकातें तो दूर ही रहीं
हमेशा हसीन होती थी वो
क्यों ऐसा अक़्सर होता हैं
हम पास तो आ जाते हैं
मगर पता नहीं कैसे क्यों
दूर भी हो ही जाते हैं
खुद से वाकिफ़ होकर
फिर संभल जाता ही हूँ मैं
जवाब मिलते ही अक्सर क्यों
सवाल ही भूल जाता हूँ मैं।