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अमित प्रेमशंकर

Romance

2.5  

अमित प्रेमशंकर

Romance

इतनी-सी प्रेम कहानी है...

इतनी-सी प्रेम कहानी है...

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235


यादों का ये सिलसिला है

रूत बड़ी सुहानी है।

जिसपे मैं मरता हूं यारों

वो भी थोड़ी दिवानी है।


आती है मादकता संग ले

जुल्फों को लहरा कर के।

आंख मिच वो चल जाती है

जख्मों को गहरा कर के।


कैसे कहूं कि कौन है वो

और कहां पे रहती है।

खफा खफा भी रहकर हरदम

जान जान वो कहती है।


दिल में मेरे बसने वाली

पिय की अमर निशानी है।

इस से ज्यादा क्या लिखूं

इतनी-सी प्रेम कहानी है।


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