इतनी-सी प्रेम कहानी है...
इतनी-सी प्रेम कहानी है...


यादों का ये सिलसिला है
रूत बड़ी सुहानी है।
जिसपे मैं मरता हूं यारों
वो भी थोड़ी दिवानी है।
आती है मादकता संग ले
जुल्फों को लहरा कर के।
आंख मिच वो चल जाती है
जख्मों को गहरा कर के।
कैसे कहूं कि कौन है वो
और कहां पे रहती है।
खफा खफा भी रहकर हरदम
जान जान वो कहती है।
दिल में मेरे बसने वाली
पिय की अमर निशानी है।
इस से ज्यादा क्या लिखूं
इतनी-सी प्रेम कहानी है।