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SURYAKANT MAJALKAR

Romance

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SURYAKANT MAJALKAR

Romance

इतनी सी बात

इतनी सी बात

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इत्ती सी बात पर तुम खफ़ा हो गये।

जुदा हो के मुझ को सजा दे गये।


कैसी नाराज़गी, कैसा अल्हड़पन

किस बात पर ये कैसी अनबन।


कैसे समझाऊँ, कैसे बतलाऊँ

उस बात पर मैं सफाई दिलाऊँ


कमजोर विश्वास पर जिंदगी नहीं कटती

सच्चाई की दीया बाती कभी नहीं बुझती


अपने जज़्बात को टटोल ले ज़रा

दिल की बात सुन, न कर फैसला


कहीं ये लम्हा दूरियाँ ना बना ले

पलट देख ज़रा, हाथ तू थाम ले


वरना सारी जिंदगी पछतायेगी

प्यारा की नईया डूब जायेगी


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