इतनी मेरी कहानी
इतनी मेरी कहानी
नखरे तिरे उठाये, सब बात हम ने मानी।
बस इंतज़ार करते, बीती मेरी जवानी।
तुम दूर हम से हो तो, कमतर है जिंदगानी।
दिन भी नहीं है अच्छा, ना रात है सुहानी।
तुम आज हो ये कहते, मैं दिल कहीं लगा लूँ।
अब यूँ किसे मैं चाहूँ, तेरा बना न सानी।
जो शख्स दिख रहा है, हरगिज मैं वो नहीं हूँ।
ये आइना दिखाता, वो शक्ल है पुरानी।
बस एक बार मिल के, अहसान मुझ पे कर दे।
जो दिल में बन्द बातें, तुमको मुझे बतानी।
इक बात मान मेरी, ना याद मुझ को करना।
मेरी जो रह गयी है, वो फेंक दे निशानी।
आगाज़ भी तुझी से, अनजाम तुम हो मेरा।
कुछ और ना है शामिल, इतनी मिरी कहानी।