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Thomas Augustine

Romance

1.0  

Thomas Augustine

Romance

इतने दिनों तक कहाँ रहे गुम

इतने दिनों तक कहाँ रहे गुम

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इतने दिनों तक कहाँ रहे गुम,

बहाना बनाके, क्यों दूर रहे तुम।


गलती हो गयी, माफ़ करो तुम,

बात को यूँ ना और बढ़ाओ तुम।


बनो ना तुम ऐसे सयाना,

समझो ना तुम खु;द को दिवाना।


फ़ोन तो करता कम से तो कम,

याद तो करता कम से तो कम।


छोड़ भी दो ना बेहस ये सारा,

मिल तो गए है अब तो दुबारा।


करते हो तुम बोहोत बहाना,

किसी और की हो तुम आज कल दीवाना।


तेरे सिवा है कौन हमारा,

इक तुम ही तो हो दिल में हमारे।


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