इश्क़
इश्क़
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इश्क़ अब पैसों का मोहताज़ हो गया है,
आज के दौर में इश्क़ जैसे एक बेसुरा साज़ हो गया है,
इश्क़ अब पैसों का मोहताज़ हो गया है,
पहले जो पर्याय था वफ़ा का बेवफ़ा वो आज़ हो गया है,
इश्क़ अब पैसों का मोहताज़ हो गया है,
एक ज़माना था जब सबका हक़ था इसपर अब तो लगता है ये ग़रीबों से नाराज़ हो गया है,
इश्क़ अब पैसों का मोहताज़ हो गया है,
खामोशियाँ बिखरीं हैं चारों ओर लगता है अब ये बेआवाज़ हो गया है,
इश्क़ अब पैसों का मोहताज़ हो गया है।