STORYMIRROR

Gulab Jain

Romance

4.5  

Gulab Jain

Romance

इश्क़ की महक

इश्क़ की महक

1 min
219


फिर तेरे प्यार का बादल छाया |

फिर कोई हसीं नग़मा याद आया।


प्यार की बारिश में भीगे थे कैसे,

फिर उन्हीं लम्हों ने दिल तड़पाया।


तेरी आँखों में झाँक कर हम ने,

अपनी ज़िन्दगी को पुर-सुकूँ पाया।


ज़िन्दगी तेरे बिना कुछ भी नहीं,

इश्क़ की महक ने हमें समझाया।


मेरी ज़िन्दगी फ़क़त स्याही थी,

तूने चाँद बनके इसे चमकाया।


Rate this content
Log in