इश्क़ की महक
इश्क़ की महक
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फिर तेरे प्यार का बादल छाया |
फिर कोई हसीं नग़मा याद आया।
प्यार की बारिश में भीगे थे कैसे,
फिर उन्हीं लम्हों ने दिल तड़पाया।
तेरी आँखों में झाँक कर हम ने,
अपनी ज़िन्दगी को पुर-सुकूँ पाया।
ज़िन्दगी तेरे बिना कुछ भी नहीं,
इश्क़ की महक ने हमें समझाया।
मेरी ज़िन्दगी फ़क़त स्याही थी,
तूने चाँद बनके इसे चमकाया।