इश्क
इश्क
कोई इश्क कहता है
कोई मोहब्बत कहता है
कोई प्यार कहता है
कोई इबादत कहता है
ये तो खामोश सी एक सदा
और एहसास होता है
रूह से महसूस करने का
एक अंदाज होता है ।
कभी खामोशी मे होता है
कभी लफ्जों में होता है
कभी निगाहों में होता है
कभी जज्बातों मे होता है
हर रूप मे ये तो बस
रूह से महसूस करने का
एक अंदाज होता है ।
कभी पाने में होता है
कभी खोने में होता है
कभी हार में होता है
कभी जीत में होता है
जीवन में एक नई ऊर्जा देता है ।
कभी त्याग होता है
कभी बलिदान होता है
कभी अर्पण होता है
कभी समर्पण होता है
प्यार तो जीवन से बड़ा होता है
मौत में भी जिन्दगी का एहसास होता है ।
कभी आवारगी होता है
कभी दीवानगी होता है
कभी बंजारापन होता है
कभी बेपनाह होता है
इश्क तो है एक आजाद पंछी
ये कैद में कहाँ रह पाता है ।
कभी मीरा सा होता है
कभी राधा सा होता है
कभी हीररांझा सा होता है
कभी लैला मजनू सा होता है
मोहब्बत को किसी रिश्ते की जरूरत कहाँ
इसका वजूद तो हर तरफ बिखरा होता है ।

