इश्क की बातें
इश्क की बातें
जैसे पानी में तैरती हुए तेल की बूंदें
पानी में यूँ ही घुलती नहीं हैं
वैसे ही इश्क खुल जाता है रगों में पर
इश्क करने वाले कभी मिलते नहीं हैं
नहीं समझे तो मैं फिर से समझाती हूं
चलो कोई नया उदाहरण दिखाती हूं
बहुत कलियां निकलती हैं पेड़ों पर लेकिन
गिरी हुई कलियां कभी खिलती नहीं है
इसलिए जान देते हैं लोग इश्क में क्योंकि
इश्क करने वाले को जिंदगी मिलती नहीं है
बह जाती है लहरों में पानी की कुछ बूंदे
जो फिर समंदर में मिलती नहीं है
इश्क करने वाले उन किनारों की तरह है
जो एक दूसरे से कभी मिलते नहीं हैं
और कितना समझाऊं ये इश्क की बातें
नासमझ लोग हैं जो समझते नहीं है
तुम समझदार हो तो खुद ही करके देख लो
क्योंकि नासमझ तो इश्क करते नहीं है

