इश्क का शोर
इश्क का शोर
तस्वीर थी उसकी मेरे नैनों के आईने में,
नैनों से निकालना चाहता था उसे मैं,
वह तो हर जगह मुझे नज़र आया करती थी।
धड़कन हरपल उसकी रहती थी दिल में,
बंध करना चाहता उसकी धड़कन को मैं ,
वह तो हरपल इश्क का ताल मिलाया करती थी।
मेरी सांसो की बहती हुई हर लहरों में,
बंध करना चाहता था इस सरगम को में ,
वह तो हर पल इश्क का सूर लगाती रहती थी।
फवन की तरह शोर करती थी मेरे मन में,
इस शोर को रोकना चाहता था "मुरली",
वह तो हरपल मेरे तन में लहराया करती थी।

