इश्क और वफादारी
इश्क और वफादारी
चलो हम बेवफा थे जो साथ नही चल पाए
पर वो वफादारी कैसी थी जनाब
जो इश्क एक से और मुखातिब आपका दिल कई से हो रहा था
हम झूठे ही सही पर वो सच्चाई कैसी थी
जो गुफ्तगू मे यूं मशगूल थे कि आहट भी कदमो की न समझ पाए
और पूछा तुमसे जब तो सरेआम महबूबा को मां मे बदल डाला
क्या इस कदर कच्चा रिश्ता बनाते हो
जो सच कहने से घबराते हो
फिर कैसे कोई यकीन कर ले
कैसे महल तुम संग सजा ले
हम तो बेवफा ही सही
जो हैं सामने हैं अच्छाई का लिबास पहनकर
जो धोखा तुम दिए जा रहे उसे अगर वफादारी कहते हैं
तो हम बेवफा ही सही
इश्क़ तो हमको भी था.इश्क़ तुमको भी था
किस्मत है जो आरजू पूरी हो जाए
दुनिया को सुबूत देते हो हमारी बेवफाई का
खुद की खामियां भी जरा गिना दी होती
दीवारें जो तोड़ी वो इश्क़ नहीं था
साथ न दे पाए वो बेवफाई थी
अरे दुनिया सिर्फ़ हँसती है
जखम पे मरहम नहीं नमक डालके चलती है
लम्हों को सहेजो खुशिया लेलो
वफा की दलीलें छोड़ो
तेरी कमियां मैंने ढक ली क्यों कि तेरा प्यार उनपर भारी था
इश्क लायक जिसने बनाया उनकी खुद्दारी वो वफादारी सबसे भारी थी
हम बेवफा ही सही इसमे तेरी भी कुछ यारी थी
