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Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Romance

3  

Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Romance

इस वर्ष

इस वर्ष

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246


2019 में कुछ कुछ यादे तो रहीं बेहद ख़ास है

दिल को कुछ कुछ तो हुआ था ख़ास अहसास है

हम भटकते रह गये उजालों के अंधेरों में

वो खो गया था बस,हमारे ही आसपास है

शराब से ज्यादा नशा तो उनका हो गया था,

ये दिल हो गया उनके हुस्न का दास है

2019 में कुछ कुछ यादे तो रही बेहद खास है

दिल के कुछ अधूरे काम थे,वो पूरे हो गये

इस वर्ष अधरो की भी खत्म हो गई थी प्यास है

मन्ज़िल पर चलने का बड़ा शौक था हमको,

इस वर्ष फूल ही बन गए थे शूलों के पलाश है

2019 में कुछ कुछ यादें तो रही बेहद खास है,

मोहब्ब्त का हमें खट्टा,मीठा सा अनुभव मिला,

प्यार के दरिया मे तैरने का मिला था अभ्यास है

सोच अच्छी थी,दिल के चराग़ ने रास्ता दिखा दिया

इस वर्ष शोले से शबनम हुई थी बेहद निराश है

गलते रास्ते पर चले गये थे हम,

भूल को ही फूल समझ गये थे हम,

कुछ देर लगी पर अंत में सही

रास्ते पर खत्म हुई तलाश है

2019 में कुछ कुछ यादें रही बेहद ख़ास है

इस वर्ष माँ शारदे की असीम कृपा रही,

बहुत से,जज्बातों को क़लम से दी,

हमने शब्दों की घास है

इस वर्ष हम हँसे भी बहुत थे,रोये भी बहुत थे

दामन में आँसूभी बहुत थे,

मोती भी कम न थे,

इस वर्ष तलवारों पर रखा था हमारा तख्तोताज है

फ़िर भी ख़ुश रहे अधिकतर जिंदगी हम तुझसे,

कम से कम तूने कोई तो तोहफ़ा दिया था ख़ास है

अब उसका नाम तो नही लूँगा

जज्बात लिखे बग़ैर भी नही रहूँगा

इस वर्ष हमें वाकई में मिला सीने में साँस है

2019 में कुछ कुछ तो यादें रही बेहद ख़ास है



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