इंतज़ार आज भी है
इंतज़ार आज भी है
यादों के गलियारों में जब जब जाती हूँ।
तेरी यादों के संग संग मैं मुस्काती हूँ।।
वक्त की रफ्तार संग तू कही गुम हुआ है।
पर मेरे प्रेम का संसार,वही रुका हुआ है।।
उसी इंतज़ार में तेरे,कोई ठहरा हुआ है।
मेरे संसार मे,यादों का पहरा लगा हुआ है।।
इस इंतज़ार में,शायद तू कभी वापस आये।
टकटकी निगाहे ने पहरेदार सदा बैठाए।।
पर न आया तू न कभी आया कोई खत।
वक्त ने दे दिए,दिल को न जाने कितने दर्द।।
इस तन्हा सफर में,साथ तेरा आज भी हैं।
यादों के समंदर में,दिल मे प्रेम आज भी है।।
जब कभी तू ठहरना,मूंद कर देखना एक पल।
कोई तेरा हमसफर,तेरे संग चलता आज भी है।।