इंतजार
इंतजार
पति था मेरा किसी और के संग फरार हो गया,
दो बच्चों का भार मां पर सवार हो गया।
ससुराल छोड़ कर मुझे मायके रहना पड़ा,
तू क्या जाने जालिम मुझे क्या क्या सहना पड़ा।
चाहती तो मैं भी कहीं भाग जाती,
पर मैंने सब इंकार किया
दूसरी शादी छोड़कर मैंने तेरा ही इंतजार किया।
सभी सगे संबंधी छोड़ गए साथ मेरा,
खुद ही काम कर कर के मेरे हाथों न बचाए रखा नाम तेरा,
न तू आया न आई तेरी खबर
ठोकरें खा खा कर ढूंढती रही
दर बदर।
कई बर्ष बीत गए अब तो बच्चे भी जवां हो गए,
दो पल का साथ देकर
तुम तो मेहमां हो गए।
पाल कर तेरे बच्चों को सहारा दिया,
जैसे तैसे करके मैंने जिंदगी
को किनारा दे दिया।