इंतजार है
इंतजार है
लाख समझाए कोई ,
जानेवाले लौट के आते नही।
फिर भी न जाने क्यों ,
अपनी बात की जिद्दी सी हो गई हूं।
जरा सी आहट होती है तो
लगता है जैसे तो तुम यही कहीं
मेरे आस पास,और कह रहे हो कानो में मेरे
मैं हूं यहीं तुम्हारे मन में तुम्हारे तन में।
झांककर देखो कभी अपने अंतर्मन में ,
मैं हूं वही समाए तेरे दिल में।