इक बात तो बताना
इक बात तो बताना
एक बात तो बताना ,
क्या वाकई मुझसे मोहब्बत है ,
या बस दिखावा करती हो ..
लबों से कुछ कहती हो,
आंखे कुछ और बताती है,
तुम कहीं जादूगरनी तो नहीं,
जो मेरे साथ छलावा करती हो ...
समझ नहीं आती 'तुम' मुझे ,
एक घड़ी को इंतज़ार करती हो ,
और कभी दो पल भी रुक नहीं पाती हो ,
जब मुझसे मिलके मेरा चेहरा भी देखना नहीं रहता,
तो फिर मिलने ही क्यों आती हो ..
आज तुम्हारी सहेली ने ऐसा किया - वैसा किया ,
मेरे सामने रो-रो कर अपना हाल बनाती हो ..
घर जाकर तुम मेरे सामने रोई हो ,
ये बात तुम उसी सहेली को बताती हो ..
तुम्हारी सहेली टेक्स्ट करके इल्ज़ाम लगती है
के मैंने आज फिर तुम्हे रुलाया है ,
बता क्यों नहीं देती उसे ; उससे क्यों छुपाती हो ..
अब बताओ तुम ही क्या रिप्लाई करूं मैं उसे ,
यार ये तुम मुझे किन चक्करों में फसाती हो.