हुस्न का शर्माना
हुस्न का शर्माना
निहारते है आईने में वो
खुद को दुनिया के लिए,
पलट कर जनाब ये भी देखते
कि कोई देख तो नहीं रहा ।
निहारते है आईने में वो
खुद को दुनिया के लिए,
पलट कर जनाब ये भी देखते
कि कोई देख तो नहीं रहा ।